जैन धर्म

Jain dharma ke important Questions

प्रिय पाठकों, अब तक हम प्राचीन भारत के इतिहास कि इस श्रृंखला में पाषाण काल, सिंधु घाटी सभ्यता, वैदिक सभ्यता, महाजनपद काल और बौद्ध धर्म के बारे चर्चा कर चुके हैं। आज कि इस ब्लॉग पोस्ट मे हम बौद्ध धर्म के साथ साथ उभरने वाले जैन धर्म के बारे में प्रश्नों के माध्यम से विस्तार से चर्चा करेंगे। तो बिना समय गवाये पहले प्रश्न के साथ आज के टॉपिक कि शुरुआत करते हैं।

तीर्थकर

प्रश्न 1. जैन धर्म में कुल कितने तीर्थकर हुवे हैं?

उत्तर: जैन धर्म में कुल 24 तीर्थकर हुवे हैं।

ऋषभदेव

प्रश्न 2. जैन धर्म के संस्थापक कौन थे?

उत्तर: जैन धर्म के संस्थापक ऋषभदेव थे। वहीं जैन धर्म के वास्तविक संस्थापक कि बात करे तो महावीर स्वामी को जैन धर्म का वास्तविक संस्थापक के रूप में जाना जाता हैं।

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प्रश्न 3. जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर कौन थे?

उत्तर: जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर ऋषभदेव थे। ऋषभदेव को आदिनाथ और वृषभनाथ के नाम से भी जाना जाता हैं।

अरेष्टीनमी

प्रश्न 4. जैन धर्म के 22 वें तीर्थकर कौन थे?

उत्तर: जैन धर्म के 22 वें तीर्थकर अरेष्टीनमी थे।

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प्रश्न 5. जैन धर्म के कौन कौनसे तीर्थकरों का जिक्कर ऋगवेद में मिलता हैं?

उत्तर: जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर ऋषभदेव और 22 वें तीर्थकर अरेष्टीनमी का जिक्कर ऋगवेद में मिलता हैं।

पार्श्वनाथ

प्रश्न 6. जैन धर्म के 23 वें तीर्थकर कौन थे?

उत्तर: जैन धर्म के 23 वें तीर्थकर पार्श्वनाथ थे।

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प्रश्न 7. जैन धर्म के 23 वें तीर्थकर पार्श्वनाथ का जन्म कहाँ हुआ था?

उत्तर: जैन धर्म के 23 वें तीर्थकर पार्श्वनाथ का जन्म काशी/ वाराणसी में हुआ था।

प्रश्न 8. जैन धर्म के 23 वें तीर्थकर पार्श्वनाथ के पिता का नाम क्या था?

उत्तर: जैन धर्म के 23 वें तीर्थकर पार्श्वनाथ के पिता का नाम अश्वसेन था। अश्वसेन काशी के राजा थे।

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प्रश्न 9. जैन धर्म के 23 वें तीर्थकर पार्श्वनाथ को ज्ञान कि प्राप्ति कहाँ पर हुई थी?

उत्तर: जैन धर्म के 23 वें तीर्थकर पार्श्वनाथ को ज्ञान कि प्राप्ति सम्मेध पर्वत पर हुई थी।

प्रश्न 10. जैन धर्म के 23 वें तीर्थकर पार्श्वनाथ ने कौन कौनसी चार शिक्षाएँ दी थी?

उत्तर: जैन धर्म के 23 वें तीर्थकर पार्श्वनाथ ने निम्न चार शिक्षाएँ दी थी: –

– सत्य

– अहिंसा

– अस्तेथ (चोरी ना करना)

– अपरिग्रह (धन का संचय ना करना) आदि।

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महावीर स्वामी

परिचय

प्रश्न 11. जैन धर्म के अंतिम तीर्थकर कौन थे?

उत्तर: जैन धर्म के अंतिम तीर्थकर (24 वें) महावीर स्वामी थे।

प्रश्न 12. जैन धर्म का वास्तविक संस्थापक किसको कहा जाता हैं?

उत्तर: जैन धर्म का वास्तविक संस्थापक महावीर स्वामी को कहा जाता हैं।

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प्रश्न 13. जैन धर्म के अंतिम तीर्थकर महावीर स्वामी का जन्म कब हुआ था?

उत्तर: जैन धर्म के अंतिम तीर्थकर महावीर स्वामी का जन्म 540 ईसा पूर्व में हुआ था।

प्रश्न 14. जैन धर्म के अंतिम तीर्थकर महावीर स्वामी का जन्म कहाँ पर हुआ था?

उत्तर: जैन धर्म के अंतिम तीर्थकर महावीर स्वामी का जन्म कुंडग्राम (वैशाली) में हुआ था।

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प्रश्न 15. जैन धर्म के अंतिम तीर्थकर महावीर स्वामी का बचपन का क्या नाम था?

उत्तर: जैन धर्म के अंतिम तीर्थकर महावीर स्वामी का बचपन का नाम वर्धमान था।

प्रश्न 16. जैन धर्म के अंतिम तीर्थकर महावीर स्वामी के पिता का नाम क्या था?

उत्तर: जैन धर्म के अंतिम तीर्थकर महावीर स्वामी के पिता का नाम सिद्धार्थ था। जो ज्ञात्रिक कुल से सम्बन्धित थे।

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प्रश्न 17. जैन धर्म के अंतिम तीर्थकर महावीर स्वामी कि माता का नाम क्या था?

उत्तर: जैन धर्म के अंतिम तीर्थकर महावीर स्वामी कि माता का नाम त्रिशाला था। जो चेटक कि बहन थी। जैसा कि आपको पता होगा लिच्छवि के राजा चेटक कि पुत्री कि शादी बिंबिसार से हुई थी।

प्रश्न 18. जैन धर्म के अंतिम तीर्थकर महावीर स्वामी कि पत्नी का नाम क्या था?

उत्तर: जैन धर्म के अंतिम तीर्थकर महावीर स्वामी कि पत्नी का नाम यशोधा था। वहीं गौतम बुद्ध की पत्नी का नाम यशोधरा था।

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प्रश्न 19. जैन धर्म के अंतिम तीर्थकर महावीर स्वामी कि पुत्री का नाम क्या था?

उत्तर: जैन धर्म के अंतिम तीर्थकर महावीर स्वामी कि पुत्री का नाम अज्जोना/ प्रियदर्शनी था।

प्रश्न 20. जैन धर्म के अंतिम तीर्थकर महावीर स्वामी ने गृह त्याग कब किया था?

उत्तर: जैन धर्म के अंतिम तीर्थकर महावीर स्वामी ने 30 साल कि आयु में गृह त्याग किया था।

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प्रश्न 21. जैन धर्म के अंतिम तीर्थकर महावीर स्वामी कि मृत्यु कितनी साल कि उम्र में हुई थी?

उत्तर: 72 साल कि उम्र में जैन धर्म के अंतिम तीर्थकर महावीर स्वामी कि मृत्यु 468 ईसा पूर्व में हो गयी थी।

प्रश्न 22. जैन धर्म के अंतिम तीर्थकर महावीर स्वामी कि मृत्यु कहाँ पर हुई थी?

उत्तर: जैन धर्म के अंतिम तीर्थकर महावीर स्वामी कि मृत्यु पावापुरी में हुई थी।

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ज्ञान प्राप्ति

प्रश्न 23. जैन धर्म के अंतिम तीर्थकर महावीर स्वामी को ज्ञान कि प्राप्ति कहाँ पर हुई थी?

उत्तर: जैन धर्म के अंतिम तीर्थकर महावीर स्वामी को ज्ञान कि प्राप्ति जाम्भिक ग्राम में हुई थी। वहीं गौतम बुद्ध को ज्ञान कि प्राप्ति बौद्ध गया में हुई थी।

प्रश्न 24. जैन धर्म के अंतिम तीर्थकर महावीर स्वामी को ज्ञान कि प्राप्ति कौनसे वृक्ष के नीचे हुई थी?

उत्तर: जैन धर्म के अंतिम तीर्थकर महावीर स्वामी को ज्ञान कि प्राप्ति शाल के वृक्ष के नीचे हुई थी। वहीं गौतम बुद्ध को ज्ञान कि प्राप्ति पीपल के वृक्ष के नीचे हुई थी।

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प्रश्न 25. जैन धर्म के अंतिम तीर्थकर महावीर स्वामी को ज्ञान कि प्राप्ति कौनसी नदी के किनारे हुई थी?

उत्तर: जैन धर्म के अंतिम तीर्थकर महावीर स्वामी को ज्ञान कि प्राप्ति ऋजुपालिका नदी के किनारे हुई थी। वहीं गौतम बुद्ध को ज्ञान कि प्राप्ति निरंजना नदी के किनारे हुई थी।

प्रश्न 26. जैन धर्म के अंतिम तीर्थकर महावीर स्वामी को ज्ञान कि प्राप्ति गृह त्याग के कितने साल बाद हुई थी?

उत्तर: जैन धर्म के अंतिम तीर्थकर महावीर स्वामी को ज्ञान कि प्राप्ति गृह त्याग के 12 साल बाद हुई थी। वहीं गौतम बुद्ध को गृह त्याग के 6 साल बाद ज्ञान कि प्राप्ति हुई थी।

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प्रश्न 27. जैन धर्म में महावीर स्वामी को ज्ञान प्राप्ति के बाद क्या कहा गया था?

उत्तर: जैन धर्म में महावीर स्वामी को ज्ञान प्राप्ति के बाद कैवल्य कहा गया था। वहीं बौद्ध धर्म में गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्ति के बाद बुद्ध कहा गया था।

अन्य नाम

महावीर स्वामी के ज्ञान प्राप्ति के बाद जैन धर्म में कुछ शब्दों का प्रचलन शुरू हुआ वो इस प्रकार हैं।

प्रश्न 28. जैन धर्म में जिन का अर्थ क्या होता हैं?

उत्तर: जैन धर्म में जिन का अर्थ विजेता होता हैं।

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प्रश्न 29. जैन धर्म में अर्हत का अर्थ क्या होता हैं?

उत्तर: जैन धर्म में अर्हत का अर्थ योगी होता हैं।

प्रश्न 30. जैन धर्म में निर्ग्रंथ का अर्थ क्या होता हैं?

उत्तर: जैन धर्म में निर्ग्रंथ का अर्थ बंधन रहित होता हैं।

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प्रश्न 31. जैन धर्म में महावीर का अर्थ क्या होता हैं?

उत्तर: जैन धर्म में महावीर का अर्थ साधना के प्रति समर्पित होना होता हैं। कहा जाता हैं महावीर स्वामी साधना के प्रति इतने समर्पित थे कि उन्होंने साधना के लिए वस्त्र भी नहीं बदले थे।

उपदेश और शिक्षाएँ

प्रश्न 32. महावीर स्वामी ने प्रथम उपदेश कहाँ पर दिया था?

उत्तर: महावीर स्वामी ने प्रथम उपदेश राजगृह में दिया था।

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प्रश्न 33. महावीर स्वामी का प्रथम शिष्य कौन था? 

उत्तर: महावीर स्वामी का प्रथम शिष्य जामिल/ जामालि था।

प्रश्न 34. महावीर स्वामी के अनुसार दुःखों का कारण क्या हैं? 

उत्तर: महावीर स्वामी के अनुसार संसार दुखमय हैं और दुःखों का कारण कर्मफल हैं। अर्थात् इंसान को अपने कर्मों कि वजह से ही दुख होता हैं।

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प्रश्न 35. जैन धर्म में पांचवीं शिक्षा किसके द्वारा दि गयी थी? 

उत्तर: जैन धर्म में पांचवीं शिक्षा ब्रहमचर्य महावीर स्वामी के द्वारा दि गयी थी।

प्रश्न 36. जैन धर्म में पाँच महाव्रत किसे कहा गया हैं? 

उत्तर: जैन धर्म के 23 वें तीर्थकर पार्श्वनाथ द्वारा दी गयी चार शिक्षाएँ (सत्य, अहिंसा, अस्तेथ और अपरिग्रह) और जैन धर्म के 24 वें व अंतिम तीर्थकर महावीर स्वामी द्वारा दी गयी पाँचवीं शिक्षा (ब्रहमचर्य) को जैन धर्म में पाँच महाव्रत कहा गया हैं।

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प्रश्न 37. महावीर स्वामी ने पाँच महाव्रतों में से किसको सर्वाधिक महत्व दिया था? 

उत्तर: महावीर स्वामी ने पाँच महाव्रतों में से अहिंसा को सर्वाधिक महत्व दिया था।

प्रश्न 38. जैन धर्म में महावीर स्वामी द्वारा दिये गए त्रिरत्न क्या हैं? 

उत्तर: जैन धर्म में महावीर स्वामी द्वारा जीवन में दुःखों के निवार्ण के लिए दिये गये त्रिरत्न निम्न हैं: –

– सम्यक दर्शन (सत्य में विश्वास)

– सम्यक ज्ञान (वास्तविक ज्ञान)

– और सम्यक आचरण (सुख दुख मे समान आचरण रखना)।

नोट: – वहीं बौद्ध धर्म के त्रिरत्न बुद्ध, धम्म और संघ थे। 

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प्रश्न 39. महावीर स्वामी सनातन धर्म कि कौन कौनसी परंपराओं में विश्वास रखते थे? 

उत्तर: महावीर स्वामी सनातन धर्म कि निम्न परंपराओं में विश्वास रखते थे: –

– मोक्ष

– आत्मा

– पुनर्जन्म

– वर्ण व्यवस्था

– कर्म आदि।

प्रश्न 40. स्यादबाद और अनेकांतवाद का संबंध कौनसे धर्म से हैं? 

उत्तर: स्यादबाद और अनेकांतवाद का संबंध जैन धर्म से हैं।

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प्रश्न 41. जैन धर्म में ईश्वर कि जगह कहाँ पर हैं?

उत्तर: जैन धर्म में माना जाता हैं कि यदि ईश्वर हैं तो उनकी जगह जिन के नीचे हैं।

प्रश्न 42. जैन धर्म में अनुयायियों को क्या कहा जाता था? 

उत्तर: जैन धर्म में अनुयायियों को गणधर कहा जाता था।

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प्रश्न 43. महावीर स्वामी के कितने गणधर थे? 

उत्तर: महावीर स्वामी के 11 गणधर थे।

प्रश्न 44. महावीर स्वामी कि मृत्यु के बाद गणधरों ने संघ का प्रमुख किसको चुना था? 

उत्तर: महावीर स्वामी कि मृत्यु के बाद गणधरों ने संघ का प्रमुख सुधर्मन को चुना था।

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जैन सभाएँ

प्रश्न 45. जैन धर्म में कुल कितनी सभाएँ हुई थी? 

उत्तर: जैन धर्म में कुल दो सभाएँ हुई थी।

प्रश्न 46. जैन धर्म में पहली सभा कब हुई थी?

उत्तर: जैन धर्म में पहली सभा चौथी शताब्दी ईसा पूर्व में हुई थी।

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प्रश्न 47. जैन धर्म कि पहली सभा कहाँ हुई थी?

उत्तर: जैन धर्म कि पहली सभा पाटलिपुत्र में हुई थी।

प्रश्न 48. जैन धर्म कि पहली सभा के अध्यक्ष कौन थे? 

उत्तर: जैन धर्म कि पहली सभा के अध्यक्ष स्थूलभद्र थे।

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प्रश्न 49. जैन साहित्य के 12 अंगों का संकलन कौनसी सभा के दौरान किया गया था? 

उत्तर: जैन साहित्य के 12 अंगों का संकलन पहली सभा के दौरान किया गया था।

प्रश्न 50. जैन धर्म कि दूसरी सभा का आयोजन कब किया गया था? 

उत्तर: जैन धर्म कि दूसरी सभा का आयोजन छठी शताब्दी ईस्वी में 512 ईस्वी के लगभग किया गया था।

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प्रश्न 51. जैन धर्म कि दूसरी सभा का आयोजन कहाँ किया गया था? 

उत्तर: जैन धर्म कि दूसरी सभा का आयोजन वल्लभी में किया गया था।

प्रश्न 52. जैन धर्म कि दूसरी सभा के अध्यक्ष कौन थे? 

उत्तर: जैन धर्म कि दूसरी सभा के अध्यक्ष देवधींगण/ क्षमाश्रवण थे।

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विभाजन

प्रश्न 53. चंद्रगुप्त मौर्य के समय जैन का विभाजन कितने भागों में हुआ था? 

उत्तर: चंद्रगुप्त मौर्य के समय जैन का विभाजन दो भागों में हुआ था। श्वेतांबर और दिगंबर।

श्वेतांबर

प्रश्न 54. जैन धर्म कि शाखा श्वेतांबर के संस्थापक कौन थे? 

उत्तर: जैन धर्म कि शाखा श्वेतांबर के संस्थापक स्थूलभद्र थे।

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प्रश्न 55. जैन धर्म कि शाखा श्वेतांबर में कौनसे रंग के वस्त्र पहनने कि अनुमति दि गयी थी? 

उत्तर: जैन धर्म कि शाखा श्वेतांबर में सफेद रंग के वस्त्र पहनने कि अनुमति दि गयी थी। वहीं दिगंबर शाखा में वस्त्र पहनने कि अनुमति नहीं थी।

प्रश्न 56. जैन धर्म कि कौनसी शाखा के अनुसार स्त्रियों के लिए मोक्ष संभव हैं? 

उत्तर: जैन धर्म कि श्वेतांबर शाखा के अनुसार स्त्रियों के लिए मोक्ष संभव हैं।

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प्रश्न 57. जैन धर्म कि कौनसी शाखा में महावीर स्वामी को भगवान माना जाने लगा था? 

उत्तर: जैन धर्म कि श्वेतांबर शाखा में महावीर स्वामी को भगवान माना जाने लगा था। श्वेतांबर शाखा के लोग ने महावीर स्वामी कि मूर्ति पूजा शुरू कर दी थी।

दिगंबर

प्रश्न 58. जैन धर्म कि दिगंबर शाखा के संस्थापक कौन थे?

उत्तर: जैन धर्म कि दिगंबर शाखा के संस्थापक भद्रबाहु थे।

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प्रश्न 59. जैन धर्म कि कौनसी शाखा में वस्त्र पहनने कि अनुमति नहीं थी? 

उत्तर: जैन धर्म कि दिगंबर शाखा में वस्त्र पहनने कि अनुमति नहीं थी। वहीं जैन धर्म कि श्वेतांबर शाखा में सफेद रंग के वस्त्र पहनने कि अनुमति दी गई थी।

प्रश्न 60. जैन धर्म कि कौनसी शाखा के अनुसार स्त्रियों के लिए मोक्ष संभव नहीं हैं? 

उत्तर: जैन धर्म कि दिगंबर शाखा के अनुसार स्त्रियों के लिए मोक्ष संभव नहीं हैं।

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प्रश्न 61. जैन धर्म कि कौनसी शाखा महावीर स्वामी को भगवान नहीं मानती थी? 

उत्तर: जैन धर्म कि दिगंबर शाखा महावीर स्वामी को भगवान नहीं मानती थी। दिगंबर शाखा महावीर स्वामी को एक महापुरुष मानती थी।

प्रतीक चिन्ह

प्रश्न 62. जैन धर्म के तीर्थकर ऋषभदेव के लिए कौनसे प्रतीक चिन्ह का प्रयोग किया जाता हैं? 

उत्तर: जैन धर्म के तीर्थकर ऋषभदेव के लिए बैल प्रतीक चिन्ह के रूप में प्रयोग किया जाता हैं।

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प्रश्न 63. जैन धर्म के तीर्थकर अजीतनाथ के लिए कौनसे प्रतीक चिन्ह का प्रयोग किया जाता हैं? 

उत्तर: जैन धर्म के तीर्थकर अजीतनाथ के लिए हाथी प्रतीक चिन्ह के रूप में प्रयोग किया जाता हैं।

प्रश्न 64. जैन धर्म के तीर्थकर पार्श्वनाथ के लिए कौनसे प्रतीक चिन्ह का प्रयोग किया जाता हैं? 

उत्तर: जैन धर्म के तीर्थकर पार्श्वनाथ के लिए सर्प प्रतीक चिन्ह के रूप में प्रयोग किया जाता हैं।

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प्रश्न 65. जैन धर्म के तीर्थकर महावीर स्वामी के लिए कौनसे प्रतीक चिन्ह का प्रयोग किया जाता हैं? 

उत्तर: जैन धर्म के तीर्थकर महावीर स्वामी के लिए सिंह प्रतीक चिन्ह के रूप में प्रयोग किया जाता हैं।

जैन साहित्य

प्रश्न 66. जैन धर्म में जैन साहित्य को क्या बोला जाता हैं?

उत्तर: जैन धर्म में जैन साहित्य को आगम बोला जाता हैं।

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प्रश्न 67. जैन साहित्य कि रचना कौनसी भाषा में कि गयी था? 

उत्तर: जैन साहित्य कि रचना अर्द्ध मगधी भाषा में कि गयी था।

प्रश्न 68. जैन धर्म का प्रचार प्रसार कौनसी भाषा में हुआ था? 

उत्तर: जैन धर्म का प्रचार प्रसार प्राकृत भाषा में हुआ था।

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प्रश्न 69. जैन धर्म के सिद्धांतों कि चर्चा किसमें कि गयी हैं?

उत्तर: जैन धर्म के सिद्धांतों कि चर्चा अंगों कि गयी हैं।

प्रश्न 70. जैन धर्म में कितने अंगों कि रचना कि गयी थी? 

उत्तर: जैन धर्म में 12 अंगों कि रचना कि गयी थी।

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प्रश्न 71. जैन धर्म के अंगों का विस्तार से वर्णन किसमें किया गया हैं? 

उत्तर: जैन धर्म के अंगों का विस्तार से वर्णन उपांग में किया गया हैं।

प्रश्न 72. जैन धर्म में उपांगों कि संख्या कितने हैं? 

उत्तर: जैन धर्म में उपांगों कि संख्या 12 हैं।

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प्रश्न 73. जैन धर्म में कितने प्रकीर्ण रचे गये थे? 

उत्तर: जैन धर्म में 10 प्रकीर्ण रचे गये थे। जिसमें अंगों का विश्लेषण किया गया था।

प्रश्न 74. जैन धर्म के भिक्षुओं के लिए नियमों और आचरणों का वर्णन किसमें किया गया हैं? 

उत्तर: जैन धर्म के भिक्षुओं के लिए नियमों और आचरणों का वर्णन छेदसूत्र और मुलसूत्र में किया गया हैं।

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प्रश्न 75. जैन धर्म में कितने छेदसूत्र रचे गये थे? 

उत्तर: जैन धर्म में छः छेदसूत्र रचे गये थे।

प्रश्न 76. जैन धर्म में कितने मुलसूत्र रचे गये थे? 

उत्तर: जैन धर्म में चार मुलसूत्र रचे गये थे।

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प्रश्न 77. भगवती सूत्र में किसका वर्णन किया गया हैं? 

उत्तर: भगवती सूत्र में महावीर स्वामी और अन्य जैन मुनियों के चरित्र का वर्णन किया गया हैं।

प्रश्न 78. कल्पसूत्र कि रचना किसके द्वारा कि गयी थी? 

उत्तर: कल्पसूत्र कि रचना भद्रबाहु के द्वारा कि गयी थी। जिसमें जैन धर्म के प्रारंभिक इतिहास कि जानकारी मिलती हैं।

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अन्य बिंदु

प्रश्न 79. मथुरा शैली का संबंध कौनसे धर्म से माना जाता हैं? 

उत्तर: मथुरा शैली का संबंध जैन धर्म से माना जाता हैं। वहीं गांधार शैली का संबंध बौद्ध धर्म से माना जाता हैं।

प्रश्न 80. चंदेल शासकों द्वारा निर्मित खजराहों के मंदिरों का संबंध कौनसे धर्मों से जुड़ा हुआ हैं?

उत्तर: चंदेल शासकों द्वारा निर्मित खजराहों के मंदिरों का संबंध जैन और हिंदु धर्म से जुड़ा हुआ हैं।

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प्रश्न 81. सोलंकी शासकों (मंत्री विमल शाह) द्वारा निर्मित दिलवाड़ा के मंदिरों का संबंध कौनसे धर्म से हैं?

उत्तर: सोलंकी शासकों (मंत्री विमल शाह) द्वारा निर्मित दिलवाड़ा के मंदिरों का संबंध जैन धर्म से हैं। दिलवाड़ा के मंदिर माउंट आबू में स्थित हैं।

प्रश्न 82. जैन धर्म से संबंधित बाहुबली कि विशाल मूर्ति कहाँ स्थित हैं? 

उत्तर: जैन धर्म से संबंधित बाहुबली कि विशाल मूर्ति श्रवणबेलगोला (कर्नाटक) में स्थित हैं। जिसका निर्माण गंग वंश के मंत्री चामुंड राय ने करवाया था। यहाँ पर हर 12 वर्षों में महामस्तकाभिषेक का त्योहार मनाया जाता हैं। जो जैन धर्म का सबसे बड़ा त्योहार हैं।

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प्रश्न 83. जैन धर्म में मोक्ष प्राप्ति के लिए प्राण त्यागने कि विधि को क्या कहा जाता हैं? 

उत्तर: जैन धर्म में मोक्ष प्राप्ति के लिए प्राण त्यागने कि विधि को संलेखन विधि या संतरा विधि कहा जाता हैं। इस विधि के अंतर्गत भूखा रहकर प्राण त्यागना पड़ता हैं। चंद्रगुप्त मौर्य ने भी इसी विधि के अनुरूप अपने प्राण त्याग दिये थे।

प्रिय पाठकों, आज कि इस ब्लॉग पोस्ट में हमने जैन धर्म के तीर्थकरों, महावीर स्वामी, जैन धर्म के विभाजन, जैन धर्म के साहित्य से जुड़े प्रश्नों पर चर्चा कि। मुझे उम्मीद हैं आज का यह ब्लॉग पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगी।

यदि आप प्राचीन इतिहास कि इस श्रृखंला का आज के टॉपिक (जैन धर्म) के बारे मे अधिक विस्तार से पढ़ना चाहते हो तो उसके लिए आपको इससे संबंधित पुस्तक कि लिंक नीचे उपलब्ध करवायी गयी हैं। 

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