नमस्कार, मेरे पुराने पाठकों का मेरे ब्लॉग (Free Padhai) पर वापिस स्वागत हैं। अब तक हम भारतीय संविधान के 11 अनुच्छेदों के बारे में विस्तार से पढ़ चुके हैं। मुझे उम्मीद है कि आपको उन सभी अनुच्छेदों के बारे में विस्तार से जानकारी मिली होगी और आपने उनके नोट्स भी तैयार कर लिए होंगे। आज हम उसके आगे भारतीय संविधान का अनुच्छेद 12 (Bhartiya savidhan ka anuchhed 12) के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। तो बिना समय गंवाए आज की पढ़ाई शुरू करते हैं।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 12 (Bhartiya savidhan ka anuchhed 12)
परिचय
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 12 (Bhartiya savidhan ka anuchhed 12) एक महत्वपूर्ण प्रावधान है जो संविधान के उद्देश्य के लिए “राज्य” शब्द को परिभाषित करता है। इस परिभाषा को संविधान के अनुप्रयोग के दायरे और केंद्र और राज्य सरकारों के बीच संबंध को समझने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
राज्य की परिभाषा
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 12 (Bhartiya savidhan ka anuchhed 12) में “राज्य” की परिभाषा निम्नलिखित को शामिल करती है:
1. भारत की सरकार
2. भारत की संसद
3. प्रत्येक राज्य की सरकार और विधानमंडल
4. भारत के क्षेत्र में स्थित स्थानीय प्राधिकरण
5. भारत की सरकार के नियंत्रण में आने वाले किसी अन्य प्राधिकरण
यह परिभाषा समावेशी और पूर्ण नहीं है, और इस परिभाषा में सरकार के सभी शाखाओं को शामिल किया गया है, जिसमें कार्यकारी, विधायिका, और न्यायिक शाखाएँ शामिल हैं।
अनुच्छेद 12 का महत्त्व
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 12 (Bhartiya savidhan ka anuchhed 12) का महत्व इसमें निहित है कि यह संविधान के अनुप्रयोग के दायरे को स्पष्ट करता है। साथ ही अनुच्छेद 12 सुनिश्चित करता है कि भारत की सारी शाखाएं जो संविधान के अनुसार बनाई गई है वो संविधान के प्रति जवाबदेह हैं और नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी उन शाखाओं पर निर्भर हैं। “राज्य” की परिभाषा भी केंद्र और राज्य सरकारों के बीच संबंध के लिए एक ढांचा प्रदान करती है, और यह उन्हें अपने मुद्दों का समाधान करने में मदद करती है।
अनुच्छेद 12 की आलोचना
कुछ विद्वानों का कहना है कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 12 (Bhartiya savidhan ka anuchhed 12) जिस “राज्य” की परिभाषा देता हैं वो बहुत ज्यादा व्यापक है और इससे व्यक्तिगत अधिकारों का हनन और इन पर राज्य का अत्यधिक नियंत्रण हो सकता है। लेकिन यह गलतफहमी है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 12 के अनुसार “राज्य” की परिभाषा का मतलब है नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा और सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करना।
सर्वोच्च न्यायालय की व्याख्या
भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने कई मामलों में भारतीय संविधान का अनुच्छेद 12 (Bhartiya savidhan ka anuchhed 12) का व्याख्यान किया है, और यह निर्धारित किया है कि “राज्य” की परिभाषा समावेशी है और पूर्ण नहीं है जिसे न्यायालय ने कई बार पूर्ण करने की कोशिश कि हैं। 1979 में रमाना दयाराम शेट्टी बनाम इंटरनेशनल एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने यह बताया किया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 12 में जिसे “राज्य” की परिभाषा दी गई हैं। उस में भारत सरकार के नियंत्रण में आने वाली सभी संस्थाएं व प्राधिकरण भी शामिल हैं।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 12 के कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं का विवरण यहाँ है जिसको आप याद रख सकते हैं: –
– भारतीय संविधान का अनुच्छेद 12 (Bhartiya savidhan ka anuchhed 12) द्वारा “राज्य” शब्द को संविधान के उद्देश्यों के लिए परिभाषित किया गया है। यह परिभाषा महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि यह संविधान के प्रयोग की देखरेख को स्पष्ट करती है और सरकार के सभी शाखाओं की ज़िम्मेदारी को सुनिश्चित करती है।
– भारत के संविधान के अनुच्छेद 12 के अनुसार, “राज्य” की परिभाषा में भारत सरकार, भारतीय संसद, राज्य सरकारें और विधान सभाएँ शामिल हैं। यह स्थानीय प्राधिकारियों, जैसे कि नगरपालिकाएं और पंचायतें, और सरकार के अधीन अन्य प्राधिकरणों, जैसे कि विश्वविद्यालय और सार्वजनिक क्षेत्र के परियोजनाओं, जैसे कि निगम, शामिल हैं।
– भारतीय संविधान का अनुच्छेद 12 (Bhartiya savidhan ka anuchhed 12) का महत्व इसमें निहित है कि यह संविधान के प्रयोग की देखरेख को स्पष्ट करता है। यह सुनिश्चित करता है कि सभी सरकारी शाखाएँ संविधान और संघीय कानूनों की उपेक्षा नहीं करे और उनका गलत फायदा न उठाएं, जिससे राज्य के अनियमित कार्रवाई को रोका जा सकता है। भारत के संविधान का यह प्रावधान सरकारी कार्यक्रम में जवाबदेही और पारदर्शिता को भी बढ़ावा देने का काम करता है।
– भारतीय संविधान का अनुच्छेद 12 (Bhartiya savidhan ka anuchhed 12) इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि सभी सरकारी शाखाएँ संविधान के प्रति जवाबदेह हों। यह राज्य के अनियमित कार्रवाई को रोककर नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा करता है और सरकारी कार्यक्रम में जवाबदेही और पारदर्शिता को बढ़ावा देता है।
– भारत का सर्वोच्च न्यायालय ने कई मामलों में भारतीय संविधान का अनुच्छेद 12 (Bhartiya savidhan ka anuchhed 12) का व्याख्यान किया है, जिसमें यह बताया हुआ है कि “राज्य” की परिभाषा समावेशी है और पूर्ण नहीं है। इसमें सरकार के नियंत्रण में सभी प्राधिकरण शामिल हैं, चाहे उनकी प्रकृति और कार्य करने का ढंग चाहिए कुछ भी हो।
आपके सवाल
अनुच्छेद 12 को संविधान में क्यों जोड़ा गया?
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 12 (Bhartiya savidhan ka anuchhed 12) को इसलिए भारत के संविधान में जोड़ा गया है क्योंकि यह अनुच्छेद सुनिश्चित करता है कि सभी सरकारी शाखाएँ संविधान के प्रति जवाबदेह हों। यह राज्य के अनियमित कार्रवाई को रोककर नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा करता है और सरकारी कार्यक्रम में जवाबदेही और पारदर्शिता को बढ़ावा देता है।
अनुच्छेद 12 कौन सा है?
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 12 (Bhartiya savidhan ka anuchhed 12) भारतीय संविधान के भाग तीन का हिस्सा है, जो “राज्य” शब्द की परिभाषा प्रदान करता है।
अनुच्छेद 12 के अनुसार राज्य की परिभाषा क्या हैं?
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 12 (Bhartiya savidhan ka anuchhed 12) कहता हैं की, राज्य की परिभाषा में निम्नलिखित को शामिल किया है: “राज्य का अर्थ महानगर नगरपालिका, पंचायत, खंडपीठ, संघ, निगम, संस्थान, संघ, केन्द्रीय सरकार होगा, और केन्द्रीय राज्य की सरकारों या निगमों के प्रदेश में स्थानांतरित किए जाने वाले सभी अनुशासनिक, प्रशासनिक और निजी संस्थानों को शामिल करेगा।”
अनुच्छेद 12 भारत के संविधान के कौनसे भाग में हैं?
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 12 (Bhartiya savidhan ka anuchhed 12) भारतीय संविधान के तीसरे भाग में है, जो राज्य की परिभाषा से सम्बन्धित है।
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