4. सभी महाजनपद (Sabhi Mahajanpad)

नमस्कार, मेरे पुराने पाठकों का मेरे ब्लॉग (free padhai) पर वापिस स्वागत हैं। अब तक हम प्राचीन भारत के इतिहास की श्रृंखला में सिंधु घाटी सभ्यता, वैदिक सभ्यता और महाजनपद काल के बारे में विस्तार से पढ़ चुके हैं। आज हम सभी महाजनपद (Sabhi Mahajanpad) जो महाजनपद काल में महत्त्वपूर्ण थे के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। तो बिना समय गंवाए आज का टॉपिक शुरू करते हैं।

सभी महाजनपद (Sabhi Mahajanpad)

सभी महाजनपद (Sabhi Mahajanpad)

परिचय

प्राचीन भारत के महाजनपद काल में सभी महाजनपद (Sabhi Mahajanpad) शक्तिशाली राज्यों के रुप उभरे। महजनपदो की कुल संख्या बौद्धिक ग्रंथ अंगुतर निकाय और जैन धर्म के भगवती सूत्र के अनुसार 16 थी। इनका काल 600 ईसा पूर्व से 400 ईसा पूर्व के बीच का था। महाजनपदों ने भारतीय इतिहास, संस्कृति, और राजनीति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

अंग

सभी महाजनपदों (Sabhi Mahajanpad) में अंग एक प्राचीन महाजनपद था जिसका सर्वप्रथम अथर्ववेद में उल्लेख मिलता है। यह जनपद वर्तमान बिहार और झारखंड के क्षेत्र में स्थित था। इसकी राजधानी चंपा या चंपापुरी थी, और अंग अपनी समृद्ध संस्कृति और व्यापार के लिए जाना जाता था।

अश्मक

सभी महाजनपद (Sabhi Mahajanpad) में से एक महाजनपद था अश्मक। इश्वाकु वंश के अश्मक नामक राजा द्वारा इस महाजनपद की स्थापना की गई थी। यह महाजनपद गोदावरी व नर्मदा नदियों के बीच के क्षेत्र (वर्तमान आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्य) में फ़ैला हुआ था। जिसकी राजधानी पाटन थी। यह महाजनपद मज़बूत सेना और व्यापार के लिए जाना जाता था।

अवंती

सभी महाजनपदों (Sabhi Mahajanpad) में से अवंती महाजनपद अपनी महत्वपूर्ण जगह रखता हैं। यह महाजनपद वर्तमान भारत के मध्यप्रदेश व गुजरात राज्यों के क्षेत्र में फ़ैला हुआ था। शुरू में इस महाजनपद की राजधानी महिष्मति थी बाद में इसकी राजधानी उज्जयिनी को बना दिया गया था। इस महाजनपद का संस्थापक शिशुपाल को माना जाता हैं। अवंती महाजनपद संस्कृति और ज्ञान का धनी महाजनपद था।

चेदि

सभी महाजनपदों (Sabhi Mahajanpad) में चेदि महाजनपद का भी एक महत्वपूर्ण स्थान था जिसका जिक्र बौद्धिक ग्रंथों में भी मिलता हैं। इस महाजनपद की चेति महाजनपद के नाम से भी जाना जाता था। इस महाजनपद के संस्थापक के रुप में विदर्भ के पुत्र और यादव वंश से संबंध रखने वाले चिदी को जाना जाता हैं। चेदि महाजनपद पर कालीचुरी वंश ने भी शासन किया था।

चेदि महाजनपद वर्तमान मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के क्षेत्र में फैला हुआ था जिसकी राजधानी शक्तिमति थी। इस महाजनपद को मज़बूत सेना और राजनीतिक शक्ति के रूप में भी जाना जाता था।

गांधार

सभी महाजनपदों (Sabhi Mahajanpad) में गांधार महाजनपद अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता था जो वर्तमान पाकिस्तान और अफगानिस्तान के क्षेत्र में स्थित था। इसकी राजधानी तक्षशिला थी, और यह अपनी समृद्ध संस्कृति और शिक्षा के लिए जाना जाता था।

गांधार का उल्लेख बौद्धिक ग्रंथ अंगूतर निकाय में भी मिलता हैं। इस महाजनपद की कला गांधार कला के रुप जानी जाती हैं। गांधार महाजनपद क्षेत्र पर शकुनि नामक राजा ने शासन किया था। बाद में इस क्षेत्र के साथ सिकंदर का भी नाम जुड़ता हैं।

कंबोज

सभी महाजनपदों (Sabhi Mahajanpad) में कंबोज महाजनपद अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता था जो वर्तमान पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के क्षेत्र में में स्थित था। इसकी राजधानी कांधार थी लेकिन कहीं कहीं इसकी राजधानी के रुप में हाटक या राजापुर का नाम भी आता है। यह महाजनपद अपनी मजबूत सैन्य और राजनीतिक शक्ति के लिए जाना जाता था।

इस महाजनपद के महत्वपूर्ण शहरों की बात करें तो उसमें कबुरा और पुष्कलावती का नाम आता है। बौद्धिक ग्रंथो के अनुसार कंबोज महान सम्राट अशोक का सीमावर्ती जनपद था।

काशी

सभी महाजनपदों (Sabhi Mahajanpad) में काशी महाजनपद अपना महत्वपूर्ण योगदान था। काशी वर्तमान उत्तर प्रदेश में स्थित था जो तीनों और से नदियों से गिरा हुआ था। जिसके उत्तर में वरुणा नदी, दक्षिण में असि नदी और पूर्व में सोम नदी थी।

काशी महाजनपद की राजधानी वाराणसी थी, और यह अपनी समृद्ध संस्कृति और शिक्षा के लिए जाना जाता था। पौराणिक कथाओं के अनुसार काशी नगरी की स्थापना भगवान शिव के द्वारा की गई थी।

काशी का हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। इस क्षेत्र का जिक्र रामायण, महाभारत सहित ऋग्वेद में भी मिलता हैं। काशी के पहले राजा के रुप में दिवोदास का नाम सामने आता है। काशी जैन धर्म के लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण स्थान रखता हैं क्योंकि जैन धर्म के 23 वें तीर्थकर पार्श्वनाथ का जन्म स्थान काशी था।

कौशल (कौसल)

सभी महाजनपदों (Sabhi Mahajanpad) में कौशल महाजनपद अपना महत्वपूर्ण योगदान था। कौशल महाजनपद वर्तमान उत्तर प्रदेश में स्थित था। इसकी पहली राजधानी अयोध्या तथा दूसरी राजधानी श्रावस्ती थी। यह अपनी मजबूत सैन्य और राजनीतिक शक्ति के लिए जाना जाता था।

बाद में आगे चल कर इसका विलय मगध में हो गया। कौशल के प्रसिद्ध शासक के रुप में प्रसेनजीत का जिक्र मिलता हैं जिसने अपनी बहन कौसलदेवी का विवाह बिंबिसार किया था।

मगध

सभी महाजनपदों (Sabhi Mahajanpad) में मगध महाजनपद का नाम सबसे शक्तिशाली महाजनपद के रूप में जाना जाता हैं। जिसकी राजधानी की बात करे तो उसकी राजधानी के रुप में गिरिव्रज और बाद में पाटिलपुत्र का जिक्र मिलता हैं। मगध महाजनपद का उल्लेख अथर्ववेद में मिलता हैं।

मगध महाजनपद के संस्थापक के रुप में राजा बृहद्रथ की पहचान होती हैं। इस क्षेत्र पर शिशुनाग और नंद वंश ने भी शासन किया।

मल्ल

यदि हम सभी महाजनपदो (Sabhi Mahajanpad) का अध्ययन करते हैं तो उसने मल्ल महाजनपद का नाम सामने आता हैं जिसका नाम मल्ल राजवंश के आधार पर पड़ा। इस महाजनपद का उल्लेख अंगुतर निकाय में भी मिलता हैं। यह क्षेत्र वर्तमान उत्तर प्रदेश के क्षेत्र में फैला हुआ था जिसकी राजधानी काशीनगर थी। मल्ल के शासकों की बात करें तो अरि मल्ल का नाम पहले शासक के रुप में सामने आता हैं।

मत्स्य

सभी महाजनपदों (Sabhi Mahajanpad) में मत्स्य जनपद का नाम भी महत्वपूर्ण था। इस महाजनपद का जिक्र महाभारत में भी मिलता हैं। मत्स्य जनपद वर्तमान राजस्थान के अलवर, भरतपुर व जयपुर के क्षेत्र में फैला हुआ था जिसकी राजधानी विराटनगर थी। यहां पर आर्यों की मत्य नामक जाति राज करती थी।

मत्स्य महाजनपद के प्रसिद्ध शासक की बात करें तो उसमें राजा विराट का नाम सामने आता हैं जिन्होंने विराटनगर शहर को बसाया था।

पांचाल

सभी महाजनपदों (Sabhi Mahajanpad) के अध्ययन में अगला नाम हैं पांचाल जो वर्तमान उत्तर प्रदेश, हरियाणा के कुरु क्षेत्र और मत्स्य क्षेत्र के आस पास फैला हुआ था। पांचाल जनपद का जिक्र महाभारत में भी मिलता हैं। पांचाल जनपद की राजधानी अहिछत्र थी।  यहां के शासकों की बात करे तो उसमें द्रुपद का नाम सामने आता हैं जिनकी पुत्री का नाम द्रोपति था।

शूरसेन

सभी महाजनपदों (Sabhi Mahajanpad) के अध्ययन में अगला नाम हैं शूरसेन जो वर्तमान उत्तर प्रदेश और राजस्थान के ब्रज क्षेत्र में फैला हुआ था। शूरसेन जनपद की राजधानी मथुरा थी। यहां के शासकों की बात करें तो उसमें शत्रुघ्न का सामने आता हैं जिन्होंने अपने पुत्र के नाम पर शूरसेन शहर की स्थापना कि। शूरसेन जनपद का संबध महाभारत से था।

वत्स

सभी महाजनपदों (Sabhi Mahajanpad) के अध्ययन में अगला नाम हैं वत्स जो वर्तमान उत्तर प्रदेश के प्रयागराज और मिर्जापुर के क्षेत्र में फैला हुआ था। वस्त महाजनपद कि राजधानी कौशांबी थी। यदि हम इसे क्षेत्र के शासकों की बात करें तो उदयन वत्स का नाम सामने आता हैं जिन्होंने बौद्ध धर्म को राज्य धर्म घोषित कर दिया।

वज्जि

सभी महाजनपदों (Sabhi Mahajanpad) के अध्ययन में अगला नाम हैं वज्जि जो वर्तमान बिहार के क्षेत्र में स्थित था। जिसकी राजधानी वैशाली थी। वज्जि में लोकतांत्रिक तरीके शासन करने की व्यवस्था सामने आती हैं। जैन धर्म में इस क्षेत्र का अलग ही महत्त्व हैं क्योंकि जैन धर्म के तीर्थकर महावीर का जन्म इसी क्षेत्र में हुआ। इस महाजनपद को लोकतांत्रिक व्यवस्था के कारण गणराज्य के रुप में भी पहचान होती थी।

कुरु

सभी महाजनपदों (Sabhi Mahajanpad) के अध्ययन में अगला नाम हैं कुरु जिसकी सीमाएं वर्तमान हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश से लगती थी। कुरु महाजनपद की राजधानी हस्तिनापुर थी और कहीं कहीं इसकी राजधानी के रुप में इंद्रप्रस्थ का भी जिक्र मिलता हैं। कुरु महाजनपद का जिक्र महाभारत में भी खूब मिलता हैं।

निष्कर्ष

सभी 16 महाजनपद प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति, और राजनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा थे। जिन्होंने देश के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यदि हम महाजनपदो की विरासत की बात करे तो भारत के कोने कोने में इसका प्रभाव अभी भी देखा जा सकता हैं जो आज भी प्रेरणा के स्रोत बने हुए हैं।

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